क्यों सोने को मजबूर हूँ। देखो...! मैं एक मजदूर हूँ..। क्यों सोने को मजबूर हूँ। देखो...! मैं एक मजदूर हूँ..।
प्राणों में प्रतीक्षातुर प्रीत लिए दिन फिर रात में खो जाता है ! प्राणों में प्रतीक्षातुर प्रीत लिए दिन फिर रात में खो जाता है !
जहाँ हम मिलते थे अक्सर इतना तो तुम्हें याद होगा न। जहाँ हम मिलते थे अक्सर इतना तो तुम्हें याद होगा न।
वो उत्तराखंड में मेरा गांव बड़ा याद आता है। वो उत्तराखंड में मेरा गांव बड़ा याद आता है।
निरंतर चलता रहेगा। बाबा केदार का नाम।। निरंतर चलता रहेगा। बाबा केदार का नाम।।
प्रति दिवस जव को निराओ। मेरे दगड़ियों प्रति दिवस जव को निराओ। मेरे दगड़ियों